जौनपुर। श्रीमद्भागवत पुराण वेदरूपी वृक्ष का रसमय फल है जिसका पान रसिक और भावुक लोग करते हैं। उक्त विचार ग्राम पचोखर में राजेश मिश्र प्रधानाचार्य के यहां आयोजित श्रीमद्भागत कथा में कथा व्यास चन्द्रकान्ता नन्दन ने प्रकट किया। उन्होंने शुकदेव मुनि के जन्म की चर्चा करत हुए कहाकि भगवान शंकर पर्वत की एक गुफा में मां पार्वती को अमर कथा सुना रहे थे। छः दिनों तक कथा सुनते सुनते मां पार्वती को नींद आ गयी। उनके स्थान पर गुफा के पीछे हिस्से में तोते के अंडे में पड़ा शावक कथा के बीच-बीच में हरिओम का उच्चारण करते हुए हुंकारी भर रहा था।
भगवान शिव इस सच्चाई को जान गये तो उसे मारने के लिए दौड़ा लिया। तोते का वह बच्चा भागते हुए बद्रिकाश्रम पहुंच गया जहां भगवान वेद व्यास की पत्नी थी। शुक शावक अपनी जान बचाने के लिए उनके मुंह के रास्ते गर्भ में चला गया। वेद व्यास की पत्नी ने उन्हे बताया कि उनके पेट से वद की ऋचनाओं की धविन आती है तो महर्षि ने गर्भस्थ शिशु से बाहर आने का आग्रह किया। इस प्रकार धरती पर शुकदेव मुनि का प्राकट्य हुआ, जिन्होंने राजा परीक्षित को श्रीमद्भागवत कथा सुनायी।