पूर्व प्रबन्धक की पुण्यतिथि पर मानस कथा आयोजित
जौनपुर। भगवान अपने भक्तों की रक्षा उससी प्रकार करता है जैसे माता अपने शिशु की करती है। उक्त उद्गार अयोध्या से पधारे स्वामी देवेश दास ने ग्राम महरूपुर स्थित हनुमान मन्दिर में तिलकधारी महविद्यालय के पूर्व प्रबन्धक स्व० अशोक कुमार सिंह की तृतीय पुण्यतिथि पर आयोजित मानस कथा में व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि जब कौरवों की सभा में द्रौपदी का चीर हरण हो रहा था। द्रौपदी की व्यथा किसी ने नहीं सुनी तब भगवान का वस्त्रावतार हुआ।
स्वामी ने भरत की चित्रकूट-यात्रा का वृत्तान्त प्रस्तुत करते हुए कहा कि चतुरंगी सेना के साथ भरत के आगमन का समाचार सुनकर लक्ष्मण आक्रोशित हो गये। उन्होंने राम की सौगन्ध खाते हुए कहा कि अभी वे शत्रुघन समेत भरत और उनकी सेना का संहार कर देंगे। वे सोच रहे थे कि भरत राम के ऊपर आक्रमण करने आ रहे हैं, परन्तु राम की कुटिया पर पहुंचते ही भाव-विहवल भरत धरती पर लोटने लगे तो पूरा परिदृश्य बदल गया। कथा के दूसरे व्यास मानस राजहंस डा० आर. पी. ओझा ने कथा को आध्यात्मिक मोड़ देते हुए कहा कि राम- रावण युद्ध सद्प्रवृत्तियों और दुष्प्रवृत्तियों के बीच संघर्ष का प्रतीक है। माया का सागर चहुँ दिशि है, अपना शरीर ही लंका है। लोभ रूप रावण इसमें जो बजा रहा नित डंका है।" पक्तियों की विद्वतापूर्ण व्याख्या प्रस्तुत की। कार्यक्रम में भाजपा नेता राजबहादुर सिंह ने पूर्व प्रबन्धक को सच्चा राम भक्त बताया। प्रदेश के राज्यमन्त्री गिरीशचन्द्र यादव ने पूर्व प्रबंधक से आत्मीय सम्बन्धों का विवरण प्रस्तुत किया तो महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमन्त्री कृपाशंकर सिंह ने स्व० अशोक कुमार सिंह के व्यक्तित्व को रेखांकित करते हुए रावण को अहंकार का प्रतीक कहा। उक्त अवसर पर पूर्व प्राचार्य डा. विनोद, कुमार सिंह, यूपी लोक सेवा आयोग के सदस्य डा० आर० एन० त्रिपाठी पूर्व प्रमुख सुरेन्द्र प्रताप सिंह, सन्तु प्रसाद राय, संजय सिंह, ज्ञानप्रकाशा सिंह, डा० धर्मराज सिंह, राजीव सिंह, डॉक्टर आर० एन० ओझा आदि उपस्थित रहे।