-जेड हुसैन बाबू -
जौनपुर। 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर शतरंज की बिसात बिछ रही है। कुछ ही हफ्ते बचे हैं और भारतीय जनता पार्टी एवं सभी विपक्षी दलों ने शतरंज की चालों की तरह अपनी-अपनी चालें चल रहे है। भाजपा एवं इंडिया गठबंधन, बसपा और समाज विकास क्रांति पार्टी के खेमों में अब हर दिन चुनावी रणनीति को लेकर शतरंज की चालें चलते हुए एक दूसरे को मात देने का दौर चल रहा है, सब अपनी-अपनी व्यूह रचना बना रहे हैं। एक-एक मोहरे को ठीक जगह रख रहे हैं। कोई प्यादों से लड़ने की, तो कोई वजीर से लड़ने की रणनीति बना रहे हैं। कुछ प्यादे, वजीर बनने की फिराक में हैं। इंडिया गठबंधन एवं विभिन्न राजनीतिक दल भी अपनी चालों को फीट करने में जुटें हैं। शतरंज की एक विशेषता है कि राजा कभी अकेले से शिकस्त नहीं खाता और यही हम आगामी चुनाव के बन रहे दृश्यों से महसूस कर रहे हैं।
राजनीति पल-पल नया आकार लेती है, इसलिये राजनीति में सही वक्त पर सही ढंग से इस्तेमाल करने का हुनर होना अपेक्षित होता है, जो अच्छा चल रहा है उसे बिगाड़ना आना चाहिए और जो बिगड़ रहा है उसे सुधारना आना चाहिए। इसी को कहते है राजनीति। इसी राजनीति के महारथि के रूप में बसपा की प्रत्याशी श्रीकला और उनके पति बाहुबली और पूर्व सांसद धनंजय सिंह की रणनीति तीक्ष्ण एवं प्रभावी बनकर सामने आ रही है। शतरंज के खेल की भांति राजनीति में भी कब किस घोड़े को और किस सैनिक को ऊंट को मारना है ताकि धमाकेदार चुनाव परिणाम तक पहुंचा जा सके, ये कला आनी चाहिए। इस कला में पूर्व सांसद का कोई मुकाबला नहीं है। वह राजनीतिक शतरंज की चालों में माहिर है और उसकी दृष्टि नये बन रहे राजनीतिक जोड़-तोड़ पर लगी है। भाजपा की एक चाल के बाद विरोधी कितनी चाल चल सकता है, भाजपा के घोड़े ऊंट सैनिक को मारने के लिए विपक्षी दल क्या चाले चल सकते हैं, इस बात का भाजपा को पहले से ज्ञान है, उसे यह भी पता है कि वह कितने प्यादों को खो सकता है। उसे बचाने का खेल भाजपा खेलने लगी है। भाजपा प्रत्याशी कृपा शंकर सिंह भी अपना दांव चल रहे है।
शतरंज में सफेद मोहरों की चाल पहले होती है और हर एक चाल की वरीयता मायने रखती है। ठीक इसी सोच पर भाजपा सभी चुनावी चालों में आगे रहना चाहती हैं। वही इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी बाबू सिंह कुशवाहा भी अपने पूरे लाव लश्कर के साथ चुनावी रण को फतह करने के लिए दिन-रात एक किए हैं। समाज विकास क्रांति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और लोकसभा सदर से प्रत्याशी अशोक सिंह भी मैदान में मजबूती से डटे हुए। आने वाले कुछ ही दिनों में जौनपुर की राजनीति का सियासी पारा अपने उफान पर रहेगा। सभी प्रमुख दलों के प्रत्याशी मतदाताओं को रिझाने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं। पल-पल बदलती जौनपुर की सियासत में कब क्या होगा यह तो कोई नहीं जानता लेकिन अपनी अपनी जीत का दावा सभी प्रत्याशी ठोक रहे हैं।