जौनपुर। बदलापुर के पूर्व विधायक बाबा दुबे के आवास बाबा कुंज में आयोजित सप्त दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन मंगलवार की शाम कथा व्यास आचार्य पं. राघवेन्द्र शास्त्री ने श्रीमद भागवत कथा के दौरान भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कथा सुनाई। जिसे सुनकर सभी श्राेता भक्ति में लीन हो गए।जिसमें उन्होंने श्री कृष्ण से संस्कार की सीख लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण स्वयं जानते थे कि वह परमात्मा हैं। उसके बाद भी वह अपने माता पिता के चरणों को प्रणाम करने में कभी संकोच नहीं करते थे।श्रीमद् भागवत कथा के माध्यम से भागवत व्यास प्रेम नारायण जी ने पहले धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की महत्ता पर प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने कहा कि जब-जब धरा पर अत्याचार, दुराचार, पापाचार बढ़ा है, तब-तब प्रभु का अवतार हुआ है।प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। जब धरा पर मथुरा के राजा कंस के अत्याचार अत्यधिक बढ़ गए, तब धरती की करुण पुकार सुनकर श्री हरि विष्णु ने देवकी माता के अष्टम पुत्र के रूप में भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया। इसी प्रकार त्रेता युग में लंकापति रावण के अत्याचारों से जब धरा डोलने लगी तब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने जन्म लिया, ऐसे तमाम प्रसंग श्रोताओं को सुनाएं, जिसे सुनकर उपस्थित श्रोता भक्ति भाव में तल्लीन हो गए। गोपियों के घर से केवल माखन चुराया अर्थात सार तत्व को ग्रहण किया और असार को छोड़ दिया।प्रभु हमें समझाना चाहते हैं कि सृष्टि का सार तत्व परमात्मा है। इसलिए असार यानी संसार के नश्वर भोग पदार्थों की प्राप्ति में अपने समय, साधन और सामर्थ को अपव्यय करने की जगह हमें अपने अंदर स्थित परमात्मा को प्राप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसी से जीवन का कल्याण संभव है। भागवत कथा के दौरान मुख्य यजमान बदलापुर के प्रथम विधायक ओमप्रकाश 'बाबा दुबे', पूर्व गृह राज्य मंत्री कृपाशंकर सिंह, प्रेम प्रकाश दुबे,पूर्व राज्य मंत्री अरुण दुबे, अखिल मिश्र ,सभाजीत तिवारी, डॉ. अशोक मिश्र, नीरज शुक्ला, उमा पाण्डेय, रमेश मिश्र , पुनीत तिवारी, हिमांशु मिश्र वागीश तिवारी सहित अन्य लोग शामिल रहे ।