जौनपुर। भगवान कृष्ण सुदामा की दीन-दशा देखकर बिलख-बिलखकर रोने लगे। उनकी आंखों से इतने आंसू बहे कि उनसे सुदामा के पैर धुल गये। उक्त बातें रामनगर भड़सरा में संजय मिश्र के आवास पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के समापन पर व्यास पीठ से उमानाथ महाराज ने व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि पत्नी सुशीला के बार-बार कहने पर सुदामा अपने बचपन के मित्र द्वारिकाधीश कृष्ण से मिलने गये। वे द्वारिकाधीश के महल के फाटक पर द्वारपाल से कृष्ण से मिलने की बात कही तो वह उनके फटे पुराने कपड़े और पैरों में जूता नहीं होने के कारण आश्चर्यचकित हो गया। द्वारपाल ने भगवान कृष्ण के पास जाकर सुदामा की दीनता की बात कहते हुए बताया कि सुदामा नाम का कोई व्यक्ति उनसे मिलने आया है। सुदामा का नाम सुनते ही श्रीकृष्ण अपना सिंहासन छोड़कर दौड़ पड़े। वे अपने मित्र को गले लगा लिये और उन्हे अपने सिंहासन पर बैठाकर उनके पैर धुलने के लिए परात में पानी भरवाकर मंगाया। कथा व्यास ने कवि नरोत्तमदास की पंक्तियां- ऐसे बिहाल बिवाइन सो पग कंटक जाल लगे कर जोये। हाय महादुःख पायो सखा तुम आये इतैन कितै दिन खोये।। पानी परात को हाथ छुयो नहिं नैनन के जल सो पग धोये। देखि सुदामा की दीन दशा करूना करिके करूनानिधि रोये। के माध्यम से दोनों मित्रों के मिलन का वर्णन किया तो श्रद्धालुओं के नेत्रों से आंसू छलक पड़े। उक्त अवसर पर डा. कंचन तिवारी, रागिनी, हेमा, आरती मिश्रा, आराध्या, हिमांशु आदि उपस्थित रहे। आभार ज्ञापन राजीव मिश्र ने किया।