जौनपुर। जो ब्रज में रहकर मक्खन चुराया करते, गोपियों के वस्त्रों की चोरी करते और अपने भक्तजनों के कई जन्मों के पापों को भी चुरा लेते हैं, ऐसे चोरों के सरदार अर्थात् भगवान कृष्ण को नमस्कार है। उक्त बातें भागवत्कथा व्यास पं. उमानाथ महाराज ने रामनगर भड़सरा स्थित संजय मिश्र के आवास पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में कही। पूतना उद्धार कथा पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि गोकुल में नन्दबाबा के महल में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जा रहा था। स्त्रियां नाचने गाने में मग्न थी। इधर भगवान कृष्ण को मारने के लिए कंश ने पूतना को भेजा था। राक्षसी पूतना ने स्त्री रूप धारण करके नन्दबाबा के महल में प्रवेश किया। उस समय शिशु कृष्ण पालने में खेल रहे थे। पूतना ने कृष्ण को मारने के लिए अपने स्तनों में कालकूट नामक घातक विष का लेप कर रखा था। वह कृष्ण को गोद में लेकर उन्हे स्तन पान कराने लगी। स्तनपान करने के पूर्व कृष्ण ने नेत्र बंद करके भगवान शिव का ध्यान किया ताकि वे कालकूट का प्रभाव नष्ट कर दें। कृष्ण ने पूतना का दुग्धपान करते-करते उसके प्राणों को भी पान कर लिया। इस प्रकार पूतना का प्राणान्त हो गया। उसका निर्जीव शरीर धरती पर गिरा तो दूर दूर तक के पेड़ पौधों, जीव-जन्तु नष्ट हो गये। नन्द बाबा कंस को कर चुका कर लौट रहे थे तो उन्होंने पूतना के विकराल शरीर के ऊपर शिशु कृष्ण को खेलते हुए देखा। कथा के बीच-बीच भक्ति गीतों की मोहक प्रस्तुति पर श्रद्धालुगण भाव-विभोर हो नाचते दिखे। उक्त अवसर पर रागिनी मिश्रा, अराध्या, हेमा, प्रिंसी, डा. कंचन तिवारी आदि उपस्थित रहीं। आभार ज्ञापन राजीव मिश्र ने किया।