👉गठजोड़ को ध्वस्त करने के लिए जिला प्रशासन को उठाने होंगे सख्त कदम
जौनपुर, यूपी। जीवन की मूलभूत सुविधाओं के लिए वैसे भी गरीब तबका रोज संघर्ष करता है और उसी में अगर बीमारी ने जकड़ लिया तो उसकी हालत बद से बदतर हो जाती है। जरूरी और जीवन रक्षक दवाओं और उचित चिकित्सा की जरूरत पड़ती है तो आम लोग सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों का रुख करते है और यही से शुरू होता है MRP ( अधिकतम खुदरा मूल्य) का खेल। कुछ दवाओं का रेट सरकार तय करती है जबकि अधिकतर दवाओं का रेट खुद चिकित्सक और दवा कंपनियों के लोग तय करते है। अक्सर शिकायत मिलती है कि 10 रुपए की दवा 100 रुपए की कीमत पर मिलती है क्योंकि MRP में पहले से ही खेल हो चुका होता है। MRP के इस खेल में गरीब जनता के ऊपर अधिक बोझ पड़ता है लेकिन उसकी सुनेगा कौन ? जिम्मेदार लोग अपनी जिम्मेदारियों से मुंह छुपाए बैठे है।
इस संबंध में संबंधित विभाग की निष्क्रियता भी देखी जा रही है। यह एक गंभीर समस्या है क्योंकि यह मरीजों को अनावश्यक रूप से अधिक भुगतान करने के लिए मजबूर करती है, खासकर उन लोगों को जो आवश्यक दवाओं पर निर्भर हैं।
दवाओं की एमआरपी से अधिक कीमत वसूलना एक अवैध कार्य है, और इसे रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। संबंधित विभाग को इस मामले में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। यह सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है कि मरीजों को दवाओं की सही कीमत के बारे में जानकारी हो, ताकि वे अधिक भुगतान करने से बच सकें। जौनपुर में भी बड़े पैमाने पर यह खेल जारी है लेकिन आम जनता के दर्द को सुनेगा कौन ?
जिम्मेदारी है किसकी ?
दवाई के दाम तय करने का काम सरकार ने एरिया के हिसाब से अपने ड्रग इंस्पेक्टर नियुक्त किए हुए हैं। वे फार्मास्युटिकल कंपनियों के पास जाते हैं, किसी दवा में लगने वाले कच्चे माल का मुआयना करते हैं। इसके बाद बाजार भाव के हिसाब से कंपनी का मुनाफा, सरकारी नियम के अनुसार 16% डिस्ट्रीब्यूटर मार्जिन, 8% रिटेलर मार्जिन जोड़ते हैं और MRP तय कर देते हैं। अब उस MRP से ज्यादा कोई कैमिस्ट ग्राहक से पैसा नहीं ले सकता लेकिन यहां भी खेल होता है। इस खेल में बड़े बड़े कारोबारी चिकित्सक, MR और सरकारी तंत्र का रोल होता है।
जागरूकता की है जरूरत
इस खेल में पिसने से बचने के लिए जनता को जागरूक करने की जरूरत है। ताकि पीड़ित खुद अपनी बात प्रशासन और सरकार से कह सके। जरूरत पड़ने पर अपने अधिकारों के लिए आंदोलन का रास्ता भी चुन सकता है।
सरकार है सख्त, बावजूद इसके खेल है जारी
प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने दवाओं के खेल पर सख्ती लगा रखी है बावजूद इसके जिम्मेदार तंत्र इसको खुली छूट दे रखी है। जनहित को ध्यान में रखते हुए जनप्रतिनिधियों और जिम्मेदार अधिकारियों को इस पूरे मामले पर संज्ञान लेकर दवाओं की काला बाजारी करने वालो पर सख्त कार्रवाई करनी होगी तभी अंतिम पायदान पर खड़े जनता को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल सकेगा।